*वेद वाणी 10-125- 1 to 08* *आचार्य डॉक्टर विवेक*

  • by CP Desk
  • Monday, October 23, 2023 7:11 PM
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*अ॒हं रु॒द्रेभि॒र्वसु॑भिश्चराम्य॒हमा॑दि॒त्यैरु॒त वि॒श्वदे॑वैः।*
*अ॒हं मि॒त्रावरु॑णो॒भा बि॑भर्म्य॒हमि॑न्द्रा॒ग्नी अ॒हम॒श्विनो॒भा ॥ऋग्वेद १०-१२५-१॥*

*अ॒हं सोम॑माह॒नसं॑ बिभर्म्य॒हं त्वष्टा॑रमु॒त पू॒षणं॒ भग॑म्।*
*अ॒हं द॑धामि॒ द्रवि॑णं ह॒विष्म॑ते सुप्रा॒व्ये॒३॒॑ यज॑मानाय सुन्व॒ते ॥ऋग्वेद १०-१२५-२॥*

*अ॒हं राष्ट्री॑ सं॒गम॑नी॒ वसू॑नां चिकि॒तुषी॑ प्रथ॒मा य॒ज्ञिया॑नाम्।
तां मा॑ दे॒वा व्य॑दधुः पुरु॒त्रा भूरि॑स्थात्रां॒ भूर्या॑वे॒शय॑न्तीम् ॥ऋग्वेद १०-१२५-३॥*

*मया॒ सो अन्न॑मत्ति॒ यो वि॒पश्य॑ति॒ यः प्राणि॑ति॒ य ईं॑ शृ॒णोत्यु॒क्तम्।*
*अ॒म॒न्तवो॒ मां त उप॑ क्षियन्ति श्रु॒धि श्रु॑त श्रद्धि॒वं ते॑ वदामि ॥ऋग्वेद १०-१२५-४॥*

*अ॒हमे॒व स्व॒यमि॒दं व॑दामि॒ जुष्टं॑ दे॒वेभि॑रु॒त मानु॑षेभिः।*
*यं का॒मये॒ तंत॑मु॒ग्रं कृ॑णोमि॒ तं ब्र॒ह्माणं॒ तमृषिं॒ तं सु॑मे॒धाम्॥ऋग्वेद१०-१२५-५॥*

*अ॒हं रु॒द्राय॒ धनु॒रा त॑नोमि ब्रह्म॒द्विषे॒ शर॑वे॒ हन्त॒वा उ॑।*
*अ॒हं जना॑य स॒मदं॑ कृणोम्य॒हं द्यावा॑पृथि॒वी आ वि॑वेश॥ऋग्वेद १०-१२५-६॥*

*अ॒हं सु॑वे पि॒तर॑मस्य मू॒र्धन्मम॒ योनि॑र॒प्स्व१॒॑न्तः स॑मु॒द्रे।*
*ततो॒ वि ति॑ष्ठे॒ भुव॒नानु॒ विश्वो॒तामूं द्यां व॒र्ष्मणोप॑ स्पृशामि ॥ऋग्वेद १०-१२५-७॥*

*अ॒हमे॒व वात॑ इव॒ प्र वा॑म्या॒रभ॑माणा॒ भुव॑नानि॒ विश्वा॑।*
*प॒रो दि॒वा प॒र ए॒ना पृ॑थि॒व्यैताव॑ती महि॒ना सं ब॑भूव॥ऋग्वेद१०-१२५-८*

*उपरोक्त आठ मन्त्रों में परमपुरुष परमात्मा की आदि महाशक्ति की महिमा एवं सर्वव्यापकता का वर्णन है, जिसका सार यह है कि, रूद्र, वसु, आदित्य, मित्र, वरुण, इन्द्र, अग्नि, अश्विन कुमारों, सोम, त्वष्टा, पूषा, भग, विश्वदेवा आदि सभी देवों को तेज एवं शक्ति इन्ही महादेवी के साथ-साथ रहने से मिलती है। और यही सर्वव्यापी महादेवी ही भूत, भविष्य और वर्तमान में तेज वायु के वेग से भी अधिक तेज गति से सूर्य, आकाश, पृथ्वी और अन्य सभी लोकों सहित सभी प्राणियों, देवताओं की रचना, पालन-पोषण व धारण करती हैं।*

*मेघमण्डल से वर्षा भी इन देवी की इच्छानुसार ही होती है। इन महादेवी की कृपा से ही देवों एवं मनुष्यों में ज्ञान, बुद्धि एवं तेज प्रकट होता है, तथा इन्ही की कृपा से साधारण से साधारण जीव भी ब्रह्मा जैसा बड़ा पद पा जाता है। यें महादेवी सर्व व्यापक होते हुए भी सभी लोकों से परे अपनी महिमा से सबके ऊपर विराजमान हो रही है।*

*यें ही राष्ट्रों की स्वामिनी है, धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति भी यें ही कराती है। यज्ञसम्बन्धी एवं अन्य सभी अनुष्ठानों व कर्मों का ज्ञान व विधान, यें ही प्राणियों के मन-मस्तिष्क में प्रकट करती है। जो प्राणी इनके अनुसार आचरण नहीं करते, वे क्षीण हो जाते हैं।*

*ब्राह्मण अर्थात् जो ज्ञानी है और ज्ञान का प्रसार-प्रचार करते है और सबका हित चिन्तन करते हुए सदैव परमात्मा के प्रति समर्पित रहते है, ऐसे जनो के प्रति जो द्वेष करनेवाले क्रूर हिंसक जन है, उनका हनन शीघ्र ही यह महाशक्ति अपनी दृष्टि धनुष की तरह टेड़ी करने मात्र से कर देती है।

*The above eight mantras describe the glory and omnipresence of the Adi Mahashakti of the Paramaatma, the essence of which is, Rudra, Vasu, Aditya, Mitra, Varun, Indra, Agni, Ashwin Kumars, Som, Tvashta, Pusha, Bhag, Vishwadev and all the other Gods get glory and power by living with this Mahadevi. And it is this omnipresent Mahadevi who creates, sustains and maintains all the living beings and Gods including the sun, sky, earth and all other worlds in the past, future and present at a speed faster than the speed of the wind.* *Rain from the clouds also happens as per the wish of this Mahashakti. It is only by the grace of this Mahadevi that knowledge, intelligence and brilliance are manifested in Gods and humans, and by her grace even the most ordinary creature attains a great status like Brahma. This Mahadevi, despite being all-pervasive, is beyond all the worlds and is sitting above everyone with her glory.*

*She is the mistress of nations, she also helps in attaining wealth and prosperity. Through this, the knowledge and rules of Yagya and all other rituals and deeds appear in the minds of living beings. The creatures who do not behave according to these, become weak.*

*Brahmins, that is, those who are knowledgeable and spread knowledge and are always dedicated to Paramaatma while thinking about the welfare of all, those who are cruel and violent with hatred towards such people, this superpower will soon destroy them with its sight of the bow. It does this just by twisting it.

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